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झूठी FIR से बचने के लिए करे यह काम, पुलिस छू तक नहीं सकती है | जाने...

Jan 11 2019

Posted By:  Sandeep

भारत एक अनोखा देश है | यहाँ हर प्रकार की सोच का व्यक्ति रहता है | इसलिए ऐसा कहा जाता है की यदि आप भारत में है तो यहाँ के कानून-कायदो का अच्छी तरीके से ज्ञान होना चाहिए | अक्सर यह देखने को मिलता है की लोग अपनी आपसी रंजिश मिटाने के लिए पुलिस में FIR दर्ज करा देते है | ऐसे में जिस व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज करवाई जाती है | उसे तुरंत पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है | यदि कोई व्यक्ति झूठी FIR रिपोर्ट के चक्कर में उलझ जाता है तो उसका काफी समय नष्ट हो जाता है | लेकिन आज हम आपको वह तरीका बतायंगे, जिससे यदि आप किसी झूठी FIR के चक्करो में फंस भी जाये तो आप उस स्थिति से कैसे बचे |  


FIR का मतलब होता है फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट ( प्राथमिक सुचना रिपोर्ट ) | जब भी कोई व्यक्ति अपराध करता है तो व्यक्ति बिना जिझक के उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा सकता है | इस स्थिति में यदि कॉग्निजेबल ऑफेंस है तो तुरंत पुलिस एफआईआर दर्ज कर लेती है |

कॉग्निजेबल ऑफेंस का मतलब है की पुलिस को इसके लिए किसी विशेष वारंट की आवश्यकता नहीं पड़ती है | जबकि नॉन कॉग्निजेबल ऑफेंस में पुलिस को वारंट की जरुरत पड़ती है | इस स्थिति में कोर्ट वारंट जारी करता है | कोर्ट की परमिशन के बिना पुलिस एक्शन नहीं ले सकती है | ऐसे मामलो में कोर्ट हस्तक्षेप करता है |



यदि आपके खिलाफ किसी व्यक्ति ने बिना अपराध किये पुलिस में एफआईआर दर्ज करवा दी है तो अब आपको डरने की कोई भी जरुरत नहीं है | क्योंकि आप इससे आईपीसी की धारा 482 C. R. P. C. के द्वारा बच सकते है | इसके लिए आपको अपनी बेगुनाह के सबूत के साथ कोई वीडियो या ऑडियो क्लिप इस अर्जी के साथ वकील के द्वारा कोर्ट में लगा सकते है | यदि आपके पास अभी कोई भी सबूत नहीं है तो इसके लिए भी संविधान में प्रावधान है |


यदि आपके ऊपर किसी ने हत्या, चोरी, डकैती, बलात्कार का आरोप लगाया है तो आपको इस धारा 482 C. R. P. C. के साथ अर्जी लगा देनी है | जब तक आपका केस कोर्ट में चलता है तो तब एक पुलिस आपको हाथ तक नहीं लगा सकती है | लेकिन पुलिस जाँच के लिए कुछ आदेश दे सकती है | इस प्रकार आप झूठी रिपोर्ट से बच सकते है | 
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